स्पार्टकस का विद्रोह
जब टूट गई हो हर क़लम
जब घुट गई हो हर आवाज़!
तब क्यों न मरे यह देश
तब क्यों न सड़े यह समाज!!
शायद हम आ चुके अब
एक ऐसे निर्णायक मोड़ पर!
हमें इस भ्रष्ट व्यवस्था में
लगा देनी चाहिए जब आग!!
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