**** स्पर्श तुम्हारे नयनो का ****
तुमने जो किया
अपने नयनो से
स्पर्श मुझ को
बहुत दिन के बाद
कुछ अलग सी
अनुभूति हुई मुझको
क्या यही है
वो जिस के लिए
तरसा था मन
लेकर अपने यौवन की
उमंग,
हठखेलिआं करता
खुद को प्रफुल्लित
करता यह मेरा मन
न जाने
कितने दिन के बाद
जैसे छु लिया हो
एक सिहरन सी का
एहसास खिला
और पल भर को जैसे
ठहर गया समां कुछ पल को
यह अदा कुछ
निराली थी, बार बार
झकझोर रही थी मेरा मन
व्याकुलता को और
बढ़ा रही थी, बस पाने
को तुम्हारे
नैनों का
**स्पर्श **
अजीत कुमार तलवार
मेरठ