Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Feb 2017 · 1 min read

स्पर्श/संस्पर्श

स्पर्श/संस्पर्श
01. तेरी छुवन
मन बगर गया
मानो बसंत ।
☆☆☆
02.हवा बहकी
सुमनों को छू कर
महका गयी ।
☆☆☆
03.मोम का तन
बत्ती की छुवन से
हुआ गलन ।
☆☆☆
04.माटी का लौंदा
कुम्हार का स्पर्श रे !
कलश पक्का ।
☆☆☆
05. वाह्ह. इन्सान
धरा से उठ कर
छू लिया चाँद ।
☆☆☆
□ प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
मो.नं. 7828104111

Language: Hindi
541 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चुगलखोरों और जासूसो की सभा में गूंगे बना रहना ही बुद्धिमत्ता
चुगलखोरों और जासूसो की सभा में गूंगे बना रहना ही बुद्धिमत्ता
Rj Anand Prajapati
*संस्मरण*
*संस्मरण*
Ravi Prakash
..
..
*प्रणय*
जब  बगावत  से  हासिल  नहीं  कुछ  हुआ !
जब बगावत से हासिल नहीं कुछ हुआ !
Neelofar Khan
मनु-पुत्रः मनु के वंशज...
मनु-पुत्रः मनु के वंशज...
डॉ.सीमा अग्रवाल
इश्क जितना गहरा है, उसका रंग उतना ही फीका है
इश्क जितना गहरा है, उसका रंग उतना ही फीका है
पूर्वार्थ
जो समझ में आ सके ना, वो फसाना ए जहाँ हूँ
जो समझ में आ सके ना, वो फसाना ए जहाँ हूँ
Shweta Soni
तृष्णा उस मृग की भी अब मिटेगी, तुम आवाज तो दो।
तृष्णा उस मृग की भी अब मिटेगी, तुम आवाज तो दो।
Manisha Manjari
मिटेगी नहीं
मिटेगी नहीं
surenderpal vaidya
‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
वफ़ा
वफ़ा
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
एक दीप हर रोज जले....!
एक दीप हर रोज जले....!
VEDANTA PATEL
बुंदेली दोहा
बुंदेली दोहा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
প্রতিদিন আমরা নতুন কিছু না কিছু শিখি
প্রতিদিন আমরা নতুন কিছু না কিছু শিখি
Arghyadeep Chakraborty
"किसी ने सच ही कहा है"
Ajit Kumar "Karn"
खिलखिलाते हैं उसे देखकर बहुत से लोग,
खिलखिलाते हैं उसे देखकर बहुत से लोग,
Anand Kumar
चुप्पी!
चुप्पी!
कविता झा ‘गीत’
रहस्य-दर्शन
रहस्य-दर्शन
Mahender Singh
3409⚘ *पूर्णिका* ⚘
3409⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
कहते हैं संसार में ,
कहते हैं संसार में ,
sushil sarna
सोना और चांदी हैं, कलंदर,तेरी आंखें। मशरूब की मस्ती हैं,समंदर तेरी आंखें।
सोना और चांदी हैं, कलंदर,तेरी आंखें। मशरूब की मस्ती हैं,समंदर तेरी आंखें।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
संतान को संस्कार देना,
संतान को संस्कार देना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" कश्ती "
Dr. Kishan tandon kranti
"खरा सोना "
Yogendra Chaturwedi
" नैना हुए रतनार "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
Rituraj shivem verma
तस्वीर बनाना
तस्वीर बनाना
Dr fauzia Naseem shad
రామ భజే శ్రీ కృష్ణ భజే
రామ భజే శ్రీ కృష్ణ భజే
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
Keshav kishor Kumar
Loading...