स्पर्धा
विषय:स्पर्धा
निरंतर आगे बढती चल तू मंजु
कभी निराश न होना बस चलती जाना
न हताश होना बस बढ़ती जाना
आगे आगे चलना होगा
नही पीछे मुड़कर कभी देखना होगा
तू रही बनना अपनी राह का स्वयं ही
नही रोक पायेगा जग में तुझको कोई भी
उड़ान ऊंची ही रखना अपनी
न विचलित होना डगर से तू अपनी
चिड़िया से दिखना होगा आकाश को छूना
तभी आत्मविश्वास बढ़ेगा खुद में
खुद की पहचान करानी होगी खुद से
फिर नही होगी प्रतिस्पर्धा किसी से
स्वयं सी स्वयं से रखनी होगी स्पर्धा
निरंतर बढ़ना होगा अपनी मंजिल पर
स्वयं को स्वयं के साथ लेकर
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद