स्पंदन को संगीत मिला था
स्पंदन को संगीत मिला था
प्रथम मिलन की बेला पाकर
पतझड़ जीवन सींच तुहिन से
धन्य किया नवजीवन देकर
मैं नीरव था जीवन नीरस
कृत किया अपने स्वर देकर
विचरित विहग को दिया आश्रय
तृण-तृण संचित नीड़ बनाकर
जन्मदिन की अनन्त शुभकामनाएँ प्रिय रावसाहबणी!