स्त्री
स्त्री ,
विशाल है-
मन से….
संसार से….
अस्तित्व से….।
पुरुष?
प्रयासरत है…
पकड़ने को…
समेटने को…
अपने अस्तित्व में।
जिस दिन
स्त्री
सिमट जाएगी।
विलय हो जाएगा-
पुरुष।
तिल-तिल…
विगलित हो जाएगा-
पुरुष।
स्त्री ने थाम रखा है…
अस्तित्व!
कृष्ण की तरह…
सारा का सारा…
मगर अपने कंधों पर!!