स्त्री….
स्त्री ही परम सत्य है उससे ही जगत है
ज्ञान की देवी भी एक नारी है
सृष्टि सृजन मे अहम भूमिका तुम्हारी है
कण कण मे अंश स्त्री का है समाया
जीवन देने का सौभाग्य है तुमने पाया
नारी बिन सब अधुरा संसार समाया है तुम मे पुरा
जगत जननी की तुम्हें देते संज्ञा
ईश्वर को भी अवतार लेने के लिए
कोख को तुम्हारी पड़ा था चुनना
नारी की ममता का क्या मै बखान करुं
झुक कर उसके चरणों मे मै प्रणाम करुं
देवों पर जब विपदा आती है
माँ के समक्ष जाकर देव सेना विनती लगाती है
स्त्री वो है जो हर संकट मे साथ निभाती है
मुश्किल परिस्थितियों मे भी हौसला बढाती है
एक लक्ष्मी की हम करते पुजा दूजी का करते तिरस्कार
कैसे मिलेगी सुख सम्पति जब उड़ाओ गे उसका परिहास
जीवन संगिनी बनकर कदम से कदम मिलाती है
बिन अभिलाषा के कितना प्रेम लुटाती है
बनकर ढाल जब वो खडी हो जाए तो
यमराज से भी दामन वो खींच लाती है
स्त्री के मर्म को अब समझना होगा
थोड़ा सा संभलना होगा
नारी की इज्जत तो करना होगा…………..
निखिल_कुमार_अंजान…….