Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Mar 2021 · 1 min read

स्त्री हूँ मैं

मैं माँ बहन भार्या हूँ, मेरी नारियों में सम्मान है,
जी हाँ स्त्री हूँ मैं, सृष्टिकर्ता ही मेरी पहचान है।

पुरुषों को मैंने जन्म दिया, जो पौरुष दिखलाते हैं,
बड़े अदब और रौब से, मुझ पर हुकूम चलाते हैं।
मेरी शक्ति रूप ना जाने, आदिशक्ति से अंजान हैं,
जी हाँ स्त्री हूँ मैं, सृष्टिकर्ता ही मेरी पहचान है।

मैं अबला नारी, पर सहनशीलता कही जाती हूँ,
पीड़ा सहकर चेहरे पर, शिकन तक ना लाती हूँ।
मेरी सहनशक्ति ही जगत में, मेरा स्वाभिमान है,
जी हाँ स्त्री हूँ मैं, सृष्टिकर्ता ही मेरी पहचान है।

नारायणी के रूप में, तीनों लोकों मे पूजी जाती हूँ,
दुर्गा काली रणचंडी, शक्ति स्वरूपा बन जाती हूँ।
ब्रह्मा विष्णु महेश, तीनों मुझमें ही विद्यमान हैं,
जी हाँ स्त्री हूँ मैं, सृष्टिकर्ता ही मेरी पहचान है।

मैं माँ बहन भार्या हूँ, मेरी नारियों में सम्मान है,
जी हाँ स्त्री हूँ मैं, सृष्टिकर्ता ही मेरी पहचान है।

?? मधुकर ??

(स्वरचित रचना, सर्वाधिकार©® सुरक्षित)
अनिल प्रसाद सिन्हा ‘मधुकर’
ट्यूब्स कॉलोनी बारीडीह,
जमशेदपुर, झारखण्ड।
e-mail: anilpd123@gmail.com

Language: Hindi
1 Like · 601 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
" पाती जो है प्रीत की "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
शाकाहारी बने
शाकाहारी बने
Sanjay ' शून्य'
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
ओनिका सेतिया 'अनु '
"ज्ञ " से ज्ञानी हम बन जाते हैं
Ghanshyam Poddar
भीम राव हैं , तारणहार मेरा।
भीम राव हैं , तारणहार मेरा।
Buddha Prakash
तुम आ जाओ एक बार.....
तुम आ जाओ एक बार.....
पूर्वार्थ
ख्वाहिश
ख्वाहिश
Omee Bhargava
ज़माने में
ज़माने में
surenderpal vaidya
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
दरिया की लहरें खुल के - संदीप ठाकुर
दरिया की लहरें खुल के - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
4729.*पूर्णिका*
4729.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अगर न बने नये रिश्ते ,
अगर न बने नये रिश्ते ,
शेखर सिंह
सीखो मिलकर रहना
सीखो मिलकर रहना
gurudeenverma198
राजनीति और वोट
राजनीति और वोट
Kumud Srivastava
प्रेम पथिक
प्रेम पथिक
Aman Kumar Holy
एक
एक "सहेली" एक "पहेली"
विशाल शुक्ल
मुझे तो मेरी फितरत पे नाज है
मुझे तो मेरी फितरत पे नाज है
नेताम आर सी
क्यों नहीं लोग.....
क्यों नहीं लोग.....
Ajit Kumar "Karn"
--पुर्णिका---विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
--पुर्णिका---विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
Vijay kumar Pandey
"बचपन याद आ रहा"
Sandeep Kumar
हर दिल में प्यार है
हर दिल में प्यार है
Surinder blackpen
*सुप्रभातम*
*सुप्रभातम*
*प्रणय*
मैं भी आज किसी से प्यार में हूँ
मैं भी आज किसी से प्यार में हूँ
VINOD CHAUHAN
"ज्ञान-दीप"
Dr. Kishan tandon kranti
শিবকে নিয়ে লেখা গান
শিবকে নিয়ে লেখা গান
Arghyadeep Chakraborty
तेरा साथ है कितना प्यारा
तेरा साथ है कितना प्यारा
Mamta Rani
कर्मवीर भारत...
कर्मवीर भारत...
डॉ.सीमा अग्रवाल
काव्य की आत्मा और अलंकार +रमेशराज
काव्य की आत्मा और अलंकार +रमेशराज
कवि रमेशराज
दुनिया कितनी निराली इस जग की
दुनिया कितनी निराली इस जग की
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
Loading...