स्त्री हूँ मैं
मैं माँ बहन भार्या हूँ, मेरी नारियों में सम्मान है,
जी हाँ स्त्री हूँ मैं, सृष्टिकर्ता ही मेरी पहचान है।
पुरुषों को मैंने जन्म दिया, जो पौरुष दिखलाते हैं,
बड़े अदब और रौब से, मुझ पर हुकूम चलाते हैं।
मेरी शक्ति रूप ना जाने, आदिशक्ति से अंजान हैं,
जी हाँ स्त्री हूँ मैं, सृष्टिकर्ता ही मेरी पहचान है।
मैं अबला नारी, पर सहनशीलता कही जाती हूँ,
पीड़ा सहकर चेहरे पर, शिकन तक ना लाती हूँ।
मेरी सहनशक्ति ही जगत में, मेरा स्वाभिमान है,
जी हाँ स्त्री हूँ मैं, सृष्टिकर्ता ही मेरी पहचान है।
नारायणी के रूप में, तीनों लोकों मे पूजी जाती हूँ,
दुर्गा काली रणचंडी, शक्ति स्वरूपा बन जाती हूँ।
ब्रह्मा विष्णु महेश, तीनों मुझमें ही विद्यमान हैं,
जी हाँ स्त्री हूँ मैं, सृष्टिकर्ता ही मेरी पहचान है।
मैं माँ बहन भार्या हूँ, मेरी नारियों में सम्मान है,
जी हाँ स्त्री हूँ मैं, सृष्टिकर्ता ही मेरी पहचान है।
?? मधुकर ??
(स्वरचित रचना, सर्वाधिकार©® सुरक्षित)
अनिल प्रसाद सिन्हा ‘मधुकर’
ट्यूब्स कॉलोनी बारीडीह,
जमशेदपुर, झारखण्ड।
e-mail: anilpd123@gmail.com