स्त्री पुरुष की जातियों के प्रकार व उनके स्वभाव
स्त्री पुरुष की जातियों के प्रकार व उनके स्वभाव
शास्त्रों में स्त्री- पुरुष की मुखिया 4 – 4 जातियां बताई गई है और किन्हीं- किन्हीं में पुरुषों की 6 और स्त्रियों की 5 जातियां बताई गई है।
शास्त्रों में पुरुषों की जातियां 6 बताई गई है। 1. शशक, 2. मृग 3. वृषभ 4. अश्व
5.सिंह 6. मार्जार ।
जाति नामों के अनुसार ही पुरुषों का व्यवहार व स्वभाव पाया जाता है।देखा जाए तो सभी लोक पुरुष प्रधान हैं तथा पुरुष के पौरुष की प्रधानता दी है।
क्योंकि पुरुष जाति में बल की प्रधानता है जो किसी भी समाज में जीने के लिए अधिक महत्वपूर्ण है।
वैसे नारी शक्ति की अपनी अलग प्रधानता है। नारी के बिना संसार नहीं, यह सत्य है। परंतु नारी, नर आश्रय के बिना अधुरी है। चाहे वह किसी भी योनि में पशु – पक्षी कीट -पतंग , जलचर या थलचर क्यों न हो।
बिना पुरुष के पौरुष बल के बिना अकेली जीवन यापन नहीं कर सकती। समझने योग्य तथ्य है। माता पिता के घर पिता की छाया में रहना पिता ना हो तो भाई की छाया होना, ससुराल में पति की छाया ,दुर्भाग्य से पति न हो तो पुत्र की छाया जीने के लिए अति आवश्यक है।
माना आज की नारी शक्ति वे हर असंभव काम करके दिखा रही है।परंतु सब बातों का निचोड़ ,वे कभी किसी सुनसान जगह या रात के समय अकेली नहीं जा सकती चाहे वह कितनी भी पढ़ी-लिखी उच्च आसन पर विराजमान या मार्शल आर्ट क्यों न सीखी हो।उसे पुरुष साथी की आवश्यकता पड़ती है ।अपनी अस्मिता को बचाने के लिए समाज में फूंक-फूंक कर कदम रखना पड़ता है ।वहां पर भी उसे पुरुष साथी की आवश्यकता पड़ती है।
इसीलिए शास्त्रों में पुरुष की प्रधानता लिखी गई है।
1. शशक–
इस जाति के पुरुष सुंदर देहधारी, हाथ -पैर कोमल ,कद छोटा, धर्म परायण ,वाणी पर संयम रखने वाला धार्मिक प्रवृत्ति, शीघ्र भावुक हो जाना, काम शक्ति का अधिकारी होता है यह अपने जीवनसाथी से ही संतुष्ट रहते हैं ।इनमें कामुकता प्रेम तुल्य होती है । ऐसे पुरुष थोड़े-थोड़े अहंकारी भी होते हैं।यह स्वच्छ वस्त्र अच्छा सात्विक भोजन पसंद करते हैं इनकी देह से सुगंध आती रहती है।
2. मृग–
इस जाति के पुरुष मृग की भांति चंचल ,सुंदर नैन, शशक से थोड़ा लंबे कद वाला सुडोल देह आकर्षण वाला होता है ।इन्हें भी अच्छा भोजन सुंदर वस्त्र तथा सुगंधित वस्तुओं का प्रयोग करना अच्छा लगता है। यह पुरुष भी शशक पुरुष की भांति स्वच्छ छवि वाले होते हैं। इन्हें धोखा देना या धोखा खाना पसंद नहीं ।इनकी भावना भी काम क्रीड़ा में अधिक आनंद पाने की होती हैं।
3. वृषभ–
इस जाति के पुरुष मृग जाति से बड़े कद काठी वाले होते हैं तथा अधिक चंचल नहीं होते ।यह गंभीर रहना पसंद करते हैं ।यह समाज में मिलनसार होते हैं ।यह भी सुडौल देह आकर्षक होते हैं ।ऐसे पुरुष बहुस्त्रिगामी होते हैं। यह अधिक भोजन करते हैं ।तथा गहरी नींद में भी चौकन्ने रहते हैं ।और यह कामक्रीड़ा में पाप- पुण्य का ध्यान नहीं रखते।
4- अश्व-
अश्व जाति वाला पुरुष घोड़े जैसा लंबा, स्वस्थ,कठोर ,कर्कश बोलने वाला होता है।यह निर्दयी, दया भाव हीन कठोर स्वभाव का होता है ।इनकी चाल भी घोड़े समान तेज चाल, लंबे- लंबे कदम रखने वाला होता है। इनका पूरा स्वभाव घोड़े के समान होता है। ऐसे पुरुष पत्नी -प्रेमिका के प्रति स्नेह भाव नहीं रखते। यह अत्यंत कामुक और दुराचारी होता है ।यह अपनी मर्जी के विरुद्ध कुछ भी सहन नहीं करते ।ऐसे पुरुष अपना काम निकल जाने पर दुलती मार देते हैं। इनकी देह से सदैव दुर्गंध आती रहती है।
5. सिंह–
शशक के बाद पुरुषों में सर्वश्रेष्ठ जाति सिंह की आती है ।जैसा नाम वैसा स्वभाव।ऊंचा लंबा कद, पतली कमर, स्वस्थ्, चौड़ी छाती, गंभीर सुंदर नेत्रों वाला पराक्रमी एवं न्याय प्रिय होता है ।अत्यंत साहसी होने के साथ-साथ ऐसे पुरुष अकेले रहना पसंद करते हैं। नारियों के प्रति इनकी कोई विशेष रूचि नहीं होती ।इनमें अहंकार अत्यधिक होता है ।यह अपना विरोध सहन नहीं कर सकते इसी कारण यह प्रेमभाव रति आदि के भाव से दूर रहते हैं।
6. मार्जार–
मार्जार यानी जंगली बिल्ला। इस जाति के पुरुष महाहिंसक, रक्त वर्ण लिए बड़ी -बड़ी आंखों वाला होता है।यह बिल्ले की भांति फुर्तीला और घात लगाकर हिंसक आक्रमण करने वाला होता है। इसमें काम को भाव कम होता है। परंतु जब जागृत होता है तब हिंसक रूप ले लेता है। मध्यम कद और मजबूत कद काठी वाले ऐसे पुरुष बेहद चालाक और खतरनाक होते हैं।
ठीक इसी ही तरह स्त्रियों में भी 5 जातियां स्वाभाविक रूप से पाई गई है।
पद्मिनी ,चित्रणी , शंखिनी , हस्तिनी, और पुंच्श्र्ली।
1. पद्मिनी-
ऐसी स्त्रियां पतिव्रता होती है। गर्दन शंख के समान, मुखाकृति कमल पुष्प के समान होती है। रंग गौर देह से कमल समान सुगंध आती है ।नाक ,कान ,होंठ छोटे तथा आंखें कमल पंखुड़ी के समान सुंदर तथा स्वर बहुत ही मधुर ,मुख पर मुस्कान बिखेरे रहती है। ऐसी स्त्रियां श्रृंगार प्रिय तथा पति को लुभाने वाली होती है ।इनकी चाल हंस के समान होती है ।यह अपने से बड़ों का आदर सम्मान करने वाली तथा सभी से स्नेह तथा दया रखने वाली होती है।
2.चित्रणी–
ऐसी स्त्रियां कई वर्णों की होती है गेहुंआ, श्याम वरण, तथा गौर वर्ण की भी ।ऐसी स्त्रियां पतिव्रता और सबसे स्नेह रखने वाली होती है ।श्रृंगार में इनकी विशेष रुचि रहती है ।यह ज्यादा परिश्रमी नहीं होती परंतु अधिक बुद्धिमान होती है। इनका मस्तक गोल तथा नेत्र अति सुंदर और चंचल होते हैं ।ऐसी स्त्रियों की देह सुंदर आकर्षक होती है तथा मधु सी सुगंध आती रहती है ।इनके हाथ- पैर भी सुंदर काया कोमल होती हैं तथा चाल गज गामिनी ,स्वर मयूर के समान होता है ।ऐसी स्त्रियां कोमलंगी तथा लज्जावान होती है।
3. हस्तिनी–
ऐसी स्त्रियों का शरीर स्थुल ,मोटा और आलस्य भरा होता है ।इनमें लज्जा और धार्मिक भावनाएं कम होती है। इनके कपोल ,नासिका ,कान और गर्दन मोटी होती है। आंखें छोटी और पीली होती है। तथा होंठ मोटे और लंबे होते हैं। इनकी देह है स्वेद दुर्गंध आती है ।ऐसी स्त्रियां पुरुष को जल्दी मोहित कर लेती हैं और इनमें भोग की इच्छा प्रबल होती है।
4. शंखिनी–
ऐसी स्त्रियों की अधिक लंबाई होती है ,तथा देह बेडौल , आंखें टेढ़ी होती है। इनमें क्रोध की भावना अधिक होती है ।ऐसी स्त्रियां चलते इसमें अपनी कमर हिला- हिला कर चलती है। इनके चलते समय कदमों की आ्आज नहीं होती ,तथा प्रत्येक क्षण भोग की इच्छा बनी रहती है ऐसी स्त्रियां मादक पदार्थों के सेवन करने से भी नहीं चूकती।
5. पुंच्श्र्ली–
ऐसी स्त्रियां अपने परिवार के लिए दुख का कारण बनती हैं। इनमें लज्जा नहीं होती और यह अपने हाव-भाव से कटाक्ष करने वाली होती है। ऐसी स्त्रियों के मस्तक का चमकीला बिंदु भी मलिन दिखाई देता है और इनके हाथ में नव रेखाएं होती है जो पुण्य, पद्म ,स्वास्तिक आदि उत्तम रेखाओं से रहित होती है।इनका मन अपने पति की अपेक्षा पर पुरुषों में अधिक लगता है ,इसलिए इनका समाज में मान -सम्मान नहीं होता ।इनकी देह बेडौल तथा स्वर तीखा होता है। यदि यह किसी से सामान्य रूप से बात भी करती हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे यह विवाद कर रही है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश