स्त्री / दुर्गा
ये क्या था ???
सोती यशोधरा को यूँ छोड़ कर जाना ?
गर्भवती सीता को जंगल पहुँचाना ?
नवविवाहिता उर्मिला को चौदह वर्ष की नींद सुला देना ?
देवी अहिल्या को सदियों तक पत्थर बना देना ?
सती अनसुइया से भोजन के लिए निर्वस्त्रता की माँग करना ?
ये था…..
किसी का निर्वाण किसी का प्रजा धर्म
किसी की सेवा तो किसी का अहम ,
और जब……
देवता दानवों के उत्पात से हुये परास्त और हैरान
तब अपने विशेषाधिकार देकर देवी का किया आहवान
इनको भी आपत्ति के वक्त स्त्री याद आती है
पर अफसोस ! वक्त पड़ने पर वही त्याग दी जाती है ,
तुम…..
स्त्री को जितना भी अपमानित करो
जी भर कर मनमानी करो
छोड़ दो मुसीबत में साथ
थामों मत कभी भी हाथ ,
लेकिन वो…..
हर युग में आती है
सब अन्याय सह जाती है
काली बन भक्षण करती
रानी बन संरक्षण करती
माँ बन आँचल फैलाती
पत्नी बन संबल बन जाती
बहन बन हिम्मत बनती
बेटी बन किस्मत बनती ,
उसका समर्पण देखो….
तुम्हारी एक आवाज पर
हर युग में वो आती है
तुम्हारी हर परेशानी पर
दुर्गा बन दिखलाती है ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 08/05/2019 )