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1 Feb 2024 · 1 min read

स्त्रीलिंग…एक ख़ूबसूरत एहसास

स्त्रीलिंग पर जो मात्राएं
स्वर-व्यंजन के रूप में लगती हैं
वो उनके उच्चारण पर
गहनों सी सजती हैं ,

कहीं कानों के झुमके
किसी शब्द पर चूड़ियों सी ख़नख़ती
कहीं कमर की करधनी
कहीं पंक्तियों में पायल है छनकती ,

ये स्त्रियां अपनी पहचान
हर जगह बख़ूबी हैं छोड़तीं
किसी भी खाली किताब को
ख़ूबसूरत कहानियों से हैं भर देतीं ,

मन कितना भी खाली हो
ऑंखों में सपने भर कर रहती हैं
सीधे सपाट शब्दों को भी
मात्राओं से संवार कर रखती हैं ,

इनके होने का ख़ुबसूरत एहसास
खंडहरों को भी गुलज़ार करता है
शब्द संकलन भी इन मात्राओं से
ख़ुद को शब्दकोश कहता है ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा )

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