स्टार्टअप
इच्छा बेचती हूँ सपने बेचती हूँ
ये सबके साकार हो ज्यादा बेचती हूँ ,
हिम्मत बेचती हूँ उम्मीद बेचती हूँ
ये खतम हो गई है तभी तो बेचती हूँ ,
जज़्बा बेचती हूँ हौसला बेचती हूँ
फिर से मजबूत हो इसलिये बेचती हूँ
आशा बेचती हूँ विश्वास बेचती हूँ
कहीं खो गये हैं इस करके बेचती हूँ ,
तृप्ति बेचती हूँ संतुष्टि बेचती हूँ
ग्राम में नही किलो में बेचती हूँ ,
सच्चाई बेचती हूँ ईमान बेचती हूँ
वापस से ज़िंदा करके इनको बेचती हूँ ,
हया बेचती हूँ शर्म बेचती हूँ
पुड़िया में बंद करके ये भी बेचती हूँ ,
दोस्ती बेचती हूँ यारी बेचती हूँ
मुश्किल से मिलती है थोड़ी बेचती हूँ ,
रिश्ते बेचती हूँ रिश्तेदारी बेचती हूँ
चालाक हो गई है चतुराई से बेचती हूँ ,
नया – नया व्यापार है संभल कर बेचती है
भाव चुरा ना ले कोई अकल से बेचती हुँ ।
स्लरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 08/03/2021 )