सौ साल और राज करेंगे ( लघु कथा )
लघु कथा: सौ साल और राज करेंगे
लेखक :रवि प्रकाश, रामपुर
अगस्त 1947 का पहला सप्ताह था। एक बंद कमरे में 5-6 अंग्रेज चिंता की मुद्रा में बैठे थे ..आखिर चिंता क्यों न होती! भारत आजाद होने जा रहा था और अंग्रेजो को भारत छोड़कर जाना पड़ रहा था ..इसी चिंता के बीच एक चिंता यह भी थी कि अंग्रेजों के कुछ स्कूल जो उन्होंने भारत पर शासन करने के दौरान खोले थे , अब उनके बारे में क्या किया जाए ..उन्हें भी छोड़ कर जाना पड़ रहा था। कमरे में जितने भी अंग्रेज बैठे हुए थे उनमें सभी लोग मिलकर एक स्कूल चला रहे थे और जिसको चलाते हुए काफी लंबा अरसा हो गया था।
नीली कमीज पहने हुए एक अंग्रेज ने बातचीत की शुरुआत की और कहा– अब हमें स्कूल तो छोड़कर जाना ही पड़ेगा ..मेरे ख्याल से तो स्कूल बंद कर देना चाहिए ”
लाल कमीज़ वाले ने कहा “जल्दी निर्णय क्यों ले रहे हो? ”
नीली कमीज वाले ने गुस्सा सा होते हुए कहा “-हमारे अंग्रेजी स्कूलों का भारत में क्या काम है ।अब यहां यह लोग अपनी भाषा में अपने स्कूल खोलेंगे ।अपनी भाषा में राज करेंगे ।अंग्रेजी स्कूलों की क्या जरूरत ? लगता तो यही है कि अपना अंग्रेजी स्कूल बंद करना ही पड़ेगा”
लाल कमीज़ वाला गंभीर मुद्रा में आया और उसने कहा कि भारत के स्वभाव को आप नहीं जानते। यहां कितनी भाषाएं हैं.. अगर वह आपस में लड़ने लगी तो फिर अंग्रेजी ही अगले सौ साल तक फिर राज करेगी ।हमारी नीति तो तुम जानते ही हो कि फूट डालो राज करो की रही है और हम बिल्कुल सफल रहे हैं”।
नीली कमीज वाले ने मुस्कुराते हुए कहा” फूट डालने के लिए हम भारत में मौजूद ही कब होंगे ? अंग्रेजी को कौन बचाएगा? ”
पीली कमीज़ वाले ने भी नीली कमीज़ वाले अंग्रेज की बात का सहमति की मुद्रा में सिर हिलाकर समर्थन किया।
लाल कमीज़ वाला बोला ..”हो सकता है अंग्रेजी हट जाए लेकिन इंतजार करने में हर्ज क्या है। स्कूल बंद करने का फैसला दो चार पांच साल बाद भी तो ले सकते हैं
नीली कमीज वाले ने कहा-” बेकार ही में हम निर्णय लेने में देरी कर रहे हैं जितनी जल्दी हो अंग्रेजी स्कूल बंद किया जाए और हम कोई नया इंतजाम करके यहां से जाएं”
लाल कमीज़ वाले की राय बिल्कुल फर्क थी और वह झुकने को तैयार नहीं था उसने कहा कि आप जरा सोचो हमारे इन अंग्रेजी स्कूलों में सिर्फ अंग्रेज ही नहीं पढ़े हैं , हमने भारतीयों को भी अपने हिसाब से तैयार किया है और अंग्रेजी स्कूलों के पढ़े हुए भारतीय आज शिक्षा क्षेत्र में, चिकित्सा क्षेत्र में ,कानून व्यवस्था क्षेत्र में ,पुलिस में, अदालतों में ,न्याय व्यवस्था में ,राजनीति में, सब जगह नौकरशाही में यानी हर जगह ऊंचे ऊंचे पदों पर विराजमान हैं । इनकी विशेषता यह है कि यह अंग्रेजी में निपुण हैं। अंग्रेजी हटा दी जाए तो यह अपने आप को अपाहिज महसूस करेंगे । यकीन मानिए यह लोग कभी भी भारत से अंग्रेजी को हटने नहीं देंगे “।
नीली कमीज़ वाला यह सुनते ही खुशी से उछल पड़ा उसने कहा -“अरे यह तो मैंने सोचा ही नहीं। बिल्कुल सही कह रहे हो तुम। हमें अगले 10 साल इंतजार करना चाहिए। हालात बदल जाएंगे और हम निश्चित रूप से अगले सौ साल तक शायद राज करेंगे।”( समाप्त)