सौ सवाल करता हूँ..
सौ सवाल करता हूँ..
रोता हूँ..बिलखता हूँ..
बवाल करता हूँ..
हाँ मैं……….
सौ सवाल करता हूँ..
फिर भी लाकर उसी रस्ते पे पटक देता है..
वो देकर के जिंदगी का हवाला मुझको..
और चलता हूँ उन्ही दहकते अंगारों पर..
जब तक..किसी अंगारे सा दहकने न लगूँ..
महकने न लगूँ इत्तर की खुशबू की तरह..
तपकर किसी हीरे सा चमकने न लगूँ..
फिर क्यों भला इतना मलाल करता हूँ..
रोता हूँ..बिलखता हूँ..
बवाल करता हूँ..
हाँ मैं……….
सौ सवाल करता हूँ..
– सोनित