*सौ वर्षों तक जीना अपना, अच्छा तब कहलाएगा (हिंदी गजल)*
सौ वर्षों तक जीना अपना, अच्छा तब कहलाएगा (हिंदी गजल)
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1)
सौ वर्षों तक जीना अपना, अच्छा तब कहलाएगा
जब शरीर बलवान रहेगा, नजर चल रहा आएगा
2)
काश ! बैर का भाव भुला दें, सब मनुष्य इस धरती पर
जपें प्यार के ढाई अक्षर, स्वर्ग स्वयं आ जाएगा
3)
बदला लेने वाली नीयत, तन को स्वयं जलाती है
क्षमा किया जिसने भी सबको, आत्म-शांति वह पाएगा
4)
करो प्रतीक्षा सही समय की, मन में धीरज को धरकर
जो रूठा है उसे समय ही, अपने आप मनाएगा
5)
खिलते फूल लग रहे अच्छे, पेड़ों की डाली पर ही
फूलदान में उन्हें तोड़कर, फिर भी मनुज सजाएगा
6)
नन्हे बच्चों के पीछे मॉं, दौड़ी-दौड़ी फिरती थी
बड़े हुए तो कौन याद अब, इसकी उन्हें दिलाएगा
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 615451