सौ चोट सोनार की एक चोट लोहार की – कहावत / MUSAFIR BAITHA
‘सौ चोट सोनार की एक चोट लोहार की” – यह फूहड़ लोकोक्ति है, इस सेंस में कि जो सादृश्य यहां रचा गया है उसकी प्रकृति एक नहीं है, भिन्न है।
न सोने पर लोहार की भारी हथौड़ी चल सकती है न ही सोनार की पिद्दी हथौड़ी लोहार के काम आ सकती है। यहां फालतू में सोनार को गाली पड़ी है एवं लोहार की प्रशंसा हुई है!
अब जहां सूई का काम हो वहां तलवार से तो हम काम नहीं न ले सकते?
कहना यह भी है कि जिस किसी ने कहावत सिरजी, आधा ही दिमाग लगाया!