सौन्दर्य
*सौन्दर्य तो बस भीतर है
बाहर तो सब आकर्षण
बाहर का आवरण है*
प्रकृति स्वयं एक वृहद
श्रृंगार है वसुंधरा का
प्रकृति स्वयं में पूर्ण है..
सुमन,समुंदर सरोवर
वृक्ष,पर्वत, झरने
प्राकृतिक सौंदर्य
अद्भुत,आलौकिक, अतुलनीय
प्रकृति,स्वयं एक श्रृंगार है
मनुष्य उस पर लीपा-पोती का करता श्रृंगार है
श्रृंगार तो बस भीतर का है
भीतर सुंदर विचार
बाहर अद्भुत दिव्य आलौकिक संसार….