सौन्दर्य
सौन्दर्य ऐसा सृजित हो,
सुंदर भावना उदित हो।
सुंदर मन का वास हो,
न रुप का परिहास हो।
नेक कर्मो का नया आवेग हो,
निस्वार्थ से जुड़ा हर संवेग हो।
सौन्दर्य ऐसा पुलकित एहसास है,
जो नये दृष्टिकोण का करता विकास है।
।। रुचि दूबे।।