सौंदर्य मां वसुधा की🙏
सौंदर्य मां वसुधा की🙏
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मनमोहक मोहनी मां वसुधा की
सौंदर्यभरी रचना प्रकृति माता की
कोमल किसलय नाजुक पाती
अमूल्य धरोहर सृष्टिकर्त्ता की
ऑख निराली कानों की बाली
बिंदिया चमकती सुहागिन नारी
निखरती रंग विरंगे कुसम पिरोये
सागर सुर सलीला संगम है नारी
केशों की नंद्यावर्त सी लहर तरंगें
गले सोहे स्वेत मोतियन की हार
स्वर्ण डायमण्ड दूजा लगे बेकार
मनमोहक बेली चमेली जूही फूल
जूड़े पर गजरा नयनों की कजरा
अनल है साक्षी लगते फेरे सात
चेहरा नीरखते सेहरे सरताज
मान सम्मान नारी की रक्षा में
लगे रहते सारे जन हिन्दुस्तान
कमल कोमल रक्त रंजित मृदुल
पथ पंखुड़ियों पर चलते द्विपद
झन झन स्वर नूपुर निराले
मन मोहनी नारी घट घटवासी
पड़ पग पथपर्णी होते कोमल
पीयूष स्त्रोत सी बहती नारी
नग तल स्वेत मधुर समतल
कीचड़ कमल खिलाती नारी
घर पूजी जाती वसुधा की नारी
सौंदर्य सुंदरता बडी आकर्षक
तेरी चंचल चित चंदन सी वदन
ओठों पर लाली गाल गुलाबी
सज्जी धज्जी प्रकृति की बेटी
सृष्टि संस्कार की रखवाली नारी
जग सौंदर्य की न्यारी प्यारी नारी
जीना पवित्र निर्मल निड़र हो नारी
तेरी रक्षा करती स्वंय दुर्गा व काली
प्रकृति की तू नाजुक एक डाली
बहुरंगे पाती फूल फल मतवाली
नारी तू जग दुनियां की बड़ी प्यारी