सो रहा हूं
सो रहा हूं फिर भी अब तक दे रहा है।।
कौन है जो दिल पर दस्तक दे रहा है।।
हर कड़ी मजबूती से देखो लगाई।
और झरोखों पर भी है चादर चढ़ाई।
मंद मंद शीतल पवन सा बह रहा है।
दो एक नही हर पहर संग रह रहा है।
कौन है जो दिल पे दस्तक दे रहा है।।
हर छेद हर दीवार से वो झाँकता है।
चेहरे से ही दिल की लगी को भांपता है।
बाहर नही भीतर ही कहीं रह रहा है।
मेरी बात में हर बात अपनी कह रहा है।
कौन है जो दिल पे दस्तक दे रहा है।।