सोशल मीडिया का जाल
सोशल मीडिया का जाल
दिखावे का जंजाल फैला है,
हर पल तस्वीरें, हर पल गपशप,
गोपनीयता खो गई है कहीं,
बस दिखाने की है अब सब रहर.
सोशल मीडिया का ये जाल है,
जहां बिकते हैं लाइक्स और कमेंट,
जहां झूठे सच बन जाते हैं सच्चे,
और सच्चे छिप जाते हैं अंधेरे में.
भूल गए हैं हम वो सुंदरता,
जो छुपी होती है शांत मौन में,
जो महसूस होती है अकेलेपन में,
जो शब्दों से परे होती है अनंत में.
हर पल की खबर ना देना ज़रूरी है,
हर पल को सोशल मीडिया पर ना उजागर करना ज़रूरी है,
कुछ चीजें अपने तक ही सीमित रखना,
यह भी एक खूबसूरत कला है जीने की.
सोचिएगा थोड़ा गहराई से,
क्या सचमुच ज़रूरी है ये दिखावा?
क्या सचमुच ज़रूरी है ये तमाशा?
शायद थोड़ी गोपनीयता में छुपा है,
जीवन का असली सौंदर्य और आनंद का खजाना.