सोशल मीडिया एक ड्रग
आज देश में ड्रग्स पे चर्चा है ,
मीडिया सोशल मीडिया सबका दिमाग भड़का है l
तो क्या ड्रग्स केवल केवल खाके चढ़ती है ,
नहीं ड्रग्स देख के भी चढ़ती है ll
ऐसे कौन से प्रकार का ड्रग्स हो ,
जो आखो के जरिये सीधे मन पे वार करता हो ?
धीरे धीरे इंसान के सोचने की शक्ति क्षीड़ कर देता हो ll
जो वास्तविक और काल्पनिक परिवार में
भेद न कर पाता हो l
फेसबुक पे दोस्तों की लिस्ट ,
बहुत लम्बी हो l
पर जब हो अकेले तो ,
बस तुम और तुम्हारी तन्हाई हो ll
३६५ दिन और चौबीसो घंटे,
बस इंटरनेट की दुनिआ में मस्त हो l
और अपनों के साथ बैठ के ,
हाल चाल लेने का समय न हो ll
किसी जगह घूमने जाने की उत्सुकता से ज्यादा ,
फोटो अपलोड करने की जल्दी हो l
किसी मोटिवेशनल स्पीकर को सुनने से ज्यादा ,
वेबसेरिएस के आने का जोश हो ll
बच्चा बोलना सीखते ही ,
माँ से पहले मोबाइल बोलता हो ll
सोशल मीडिया यूनिवर्सिटी के ,
चक्कर में दंगा फैलता हो ll
जिसकी ९९% जनता ,
इस ड्रग्स के लपेटे में हो l
सोचिये तो सही ,
उस देश के भविष्य का क्या हो ???
जाने अनजाने हम सब ,
इस ड्रग्स के लपेटे में हैं l
हमारे दिमाग का ८०% भाग ,
इसके चपेटे में हैं ll
इंटरनेट की अधिकता ,
निर्भरता न बन जाये l
और ये अपने जीवन की ,
लत न बन जाये ll
आवश्यकता है इसकी,
खुले मंचो से बात हो l
इस जहर के काट का ,
हर परिवार में चर्चा हो ll