” सोशल मिडिया एक वरदान “
सोशल मिडिया कमाल है
अपने आप में बवाल है
नही इससे छिपा
कोई भी सवाल है ,
जब सवाल नही सुलझते हैं
सब आपस में उलझते हैं
फिर देखो सब कैसे
गूगल पर जा अटकते हैं ,
फेसबुक जब आया था
बिछड़ों को मिलाया था
इतने सालों बाद जाकर
सबने दोस्तों को गले लगाया था ,
पहले कुक बुक खरीद कर लाते थे
फिर हम पकवान पकाते थे
लाख कोशिशों के बाद भी
पन्नों पर दाग लगाते थे ,
अब स्क्रीन को सरकाते हैं
मनपसंद रेसीपि निकालते हैं
अपनी पसंद की डिश बनाकर
कूकिंग मास्टर बन जाते हैं ,
ऊँगलियाँ कीबोर्ड पर चलने लगीं
कविता कहाँनिया लिखने लगीं
जो बात कभी मुश्किल थी
आज आसां सी लगने लगी ,
कितनों को काम मिल गये
हजारों हजार आयाम जुड़ गये
नई पुरानी पीढ़ीयों के लिए
नित नये दरवाजे खुल गये ,
मिलने की नही मजबूरी है
पास रहना कहाँ ज़रूरी है
तुरंत वीडियो चैट खोल कर
पल में मिटती दूरी है ,
कैद कोरोना के जाल में
भंयकर आज के जंजाल में
सोशल मिडिया के सहारे
जी उठे हर हाल में ,
सोशल मिडिया समाधान है
इससे नही अपादान* है
इस इक्कीसवीं सदी में तो
ये सबसे बड़ा वरदान है ।
*बिलगाव
स्वरचित , मौलिक एवं अप्रकाशित
( ममता सिंह देवा , 24/07/2020 )