सोया भाग्य जगाएं
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सपने उनके सच होते जो
करते काम निरन्तर
अपनी कथनी करनी में जो
रखते रंच न अन्तर
ज्यों-ज्यों अन्तर मिटता, त्यों-त्यों
दूर निराशा भागे
अड़चन कोई कभी न आती
कर्मवीर के आगे
कथनी-करनी के अन्तर को
हम दिन-अनुदिन पाटें
बढ़ें लक्ष्य की ओर निरन्तर
सुधा प्रेम की बांटें
पहचानें अपनी आत्मा को
सोया भाग्य जगाएं
कर्मयोग के बल पर जग में
जो चाहें सो पाएं
फल कर्मानुसार ही सबको
अब तक मिलता आया
कर्मवीर का यश रहता है
सारे जग में छाया ।
– महेश चन्द्र त्रिपाठी