* सोमनाथ के नव-निर्माता ! तुमको कोटि प्रणाम है 【गीत】*
* सोमनाथ के नव-निर्माता ! तुमको कोटि प्रणाम है 【गीत】*
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सोमनाथ के नव-निर्माता ! तुमको कोटि प्रणाम है
(1)
मंदिर का विध्वंस किया महमूद गजनबी द्वारा था
इसका अर्थ पराभव था ,अभिमान हिंद का हारा था
यह हमला था भारत के प्रिय सत्य-सनातन धर्म पर
यह हमला था मान-बिंदु पर राष्ट्र-हृदय के मर्म पर
यह राजेंद्र प्रसाद राष्ट्र-नायक का अद्भुत काम है
(2)
यह सरदार पटेल देश के स्वाभिमान सिरमौर थे
चले मिटाने आक्रांताओं के हर विकृत दौर थे
राष्ट्र-रत्न के. एम. मुंशी जिनमें हिंदुत्व प्रखर था
हर आँधी से टकराने में जिन्हें न कोई डर था
सोमनाथ का भव्य कलेवर धन्य-धन्य अभिराम है
(3)
सोमनाथ के बिना अधूरी आजादी कहलाती
सोमनाथ यदि खँडहर रहता ,आजादी कब आती
सोमनाथ की नव-रचना में भारत का आह्लाद है
राष्ट्रवाद का आजादी से उपजा शुभ-उन्माद है
सोमनाथ-भव्यता देश की आजादी का नाम है
सोमनाथ के नव-निर्माता ! तुमको कोटि प्रणाम है
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451