Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jan 2021 · 1 min read

सोने के पिंजरे में कैद परिंदा

सोने के पिंजरे में कैद परिंदा______✍️

सोने के पिंजरे में कैद परिंदा
पल – पल रहे उसको भय का फंदा
मानव तेरा ये कैसा गोरख धंधा
कितना तू निर्दयी है दरिंदा,

उड़ने को मै भी व्याकुल नभ में
मुझे भी होती है लालसा तन में
उन्मुक्त होकर फिरू मै गगन में
आत्मा को कैद किया तूने
तू है मानव कितना गंदा,

उड़ने दो हमे सपने संजोने दो
मै हूँँ नहीं पिंजरे का बाशिंदा ,
दूर पेड़ पर होगी अपनी दुनिया
अपना घरौंदा,
करे पुकार सोने के पिंजरे में कैद परिंदा ।।
______ स्वरचित______
Sandeep gour Rajput_______✍️

Language: Hindi
345 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ममत्व की माँ
ममत्व की माँ
Raju Gajbhiye
"स्केल पट्टी"
Dr. Kishan tandon kranti
धीरे-धीरे ला रहा, रंग मेरा प्रयास ।
धीरे-धीरे ला रहा, रंग मेरा प्रयास ।
sushil sarna
!! कौतूहल और सन्नाटा !!
!! कौतूहल और सन्नाटा !!
जय लगन कुमार हैप्पी
Kabhi kabhi paristhiti ya aur halat
Kabhi kabhi paristhiti ya aur halat
Mamta Rani
हेच यश आहे
हेच यश आहे
Otteri Selvakumar
ये बादल क्युं भटक रहे हैं
ये बादल क्युं भटक रहे हैं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
फिर कब आएगी ...........
फिर कब आएगी ...........
SATPAL CHAUHAN
पढ़ाई
पढ़ाई
Kanchan Alok Malu
3520.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3520.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
बुंदेली दोहे- नतैत (रिश्तेदार)
बुंदेली दोहे- नतैत (रिश्तेदार)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
लफ्जों के सिवा।
लफ्जों के सिवा।
Taj Mohammad
‘ विरोधरस ‘---2. [ काव्य की नूतन विधा तेवरी में विरोधरस ] +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---2. [ काव्य की नूतन विधा तेवरी में विरोधरस ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
चन्द्रयान तीन क्षितिज के पार🙏
चन्द्रयान तीन क्षितिज के पार🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इंसान समाज में रहता है चाहे कितना ही दुनिया कह ले की तुलना न
इंसान समाज में रहता है चाहे कितना ही दुनिया कह ले की तुलना न
पूर्वार्थ
मुझे इश्क़ है
मुझे इश्क़ है
हिमांशु Kulshrestha
जुबां
जुबां
Sanjay ' शून्य'
किससे माफी माँगू, किसको माँफ़  करु।
किससे माफी माँगू, किसको माँफ़ करु।
Ashwini sharma
इतनी मिलती है तेरी सूरत से सूरत मेरी ‌
इतनी मिलती है तेरी सूरत से सूरत मेरी ‌
Phool gufran
राष्ट्र भाषा हिंदी
राष्ट्र भाषा हिंदी
Dr.Pratibha Prakash
सिर्फ जो उठती लहर व धार  देखेगा
सिर्फ जो उठती लहर व धार देखेगा
Anil Mishra Prahari
****तन्हाई मार गई****
****तन्हाई मार गई****
Kavita Chouhan
"रंग भले ही स्याह हो" मेरी पंक्तियों का - अपने रंग तो तुम घोलते हो जब पढ़ते हो
Atul "Krishn"
*गाओ हर्ष विभोर हो, आया फागुन माह (कुंडलिया)
*गाओ हर्ष विभोर हो, आया फागुन माह (कुंडलिया)
Ravi Prakash
जब  मालूम है  कि
जब मालूम है कि
Neelofar Khan
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
U888
U888
u888tube
बसंत
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
रिश्तों का एहसास
रिश्तों का एहसास
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Pollution & Mental Health
Pollution & Mental Health
Tushar Jagawat
Loading...