सोती यशोधरा
यूँ तथागत सोती यशोधरा को छोड़ गए
उस नन्हे बालक को छोड़ गए
क्या बुद्धत्व के लिए ये आवश्यक था ?
क्या ज्ञान और सत्य के लिए गृहस्थ जीवन का त्याग उचित था ? नहीं …नहीं …सत्य की खोज में गृहस्थी कैसी बाधा ?
ज्ञान गृहस्थी में भी मिल जाता है …
खोजो तो सही ढूंढो तो सही …
सब कुछ यहीं है फिर ये मरीचिका क्यों ?
जो सारे कर्तव्य पूर्ण कर लिए ,
जो जीवन के सब मानकों को
निभा दिया
तो यहीं सत्य मिल गया
यहीं शिव भी मिल गए
और यहीं ब्रम्हांड का मर्म भी
यहीं ईश्वर भी
यहीं उद्देश्य भी
यहीं प्रारम्भ और अंत का रहस्य भी |
द्वारा – नेहा ‘आज़ाद’