सोच समझ इल्जाम लगा दे
सोच समझ इल्ज़ाम लगा दे
सब कुछ मेरे नाम लगा दे
दिल के टुकड़े बेच रहा हूँ
इनका कोई दाम लगा दे
अहसाँ तेरा होगा मुझ पर
महफिल में इक शाम लगा दे
ख्वाहिश मेरी कर ये पूरी
साथ मेरे इक जाम लगा दे
हँसना मेरा खलता हो तो
रोने का ही काम लगा दे
पेड़ बबूल का काँटे देगा
अच्छा होगा आम लगा दे
बीच भँवर है कश्ती मेरी
पार मुझे तू राम लगा दे
©️सागर