Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jun 2021 · 1 min read

सोच रही गौरैया….

सोच रही गौरैया…..

सींखचे पर खिड़की के आज आ बैठी एक गौरैया
देख रही थी टुकुर-टुकुर खामोश थे भाभी-भैया
चिंतामगन बैठे थे दोनों बीच में थी एक गज की दूरी
कोई किसी को टच करे न हुई ऐसी क्या मजबूरी
काम पर भी नहीं जाते क्यों खाली बैठे घर भैया
सोच रही गौरैया…

रद्द किया कहीं आना-जाना रद्द किए सब न्योते
कितनी बार उठ-उठकर दोनों हाथ रगड़कर धोते
एक कमरे में चुन्नू अकेला दिखी एक में बूढ़ी मैया
क्यों नहीं छत पर आते भैया उड़ाने अब कनकैया
सोच रही गौरैया…..

जगी जिज्ञासा मन में उसकी था कोई ओर न छोर
कातर नज़रों से देख रहीं क्यों भाभी उसकी ओर
पिंजरे में बंदकर मुझको जो कहतीं थी सोनचिरैया
उनके लिए बन गयी पिंजर अपनी ही आज मड़ैया
सोच रही गौरैया….

सुना एक वायरस ‘कोरोना’ उड़ चीन देश से आया
मंडरा रहा समूची दुनिया पर काल रूप धर आया
लाचार बेबस आज मनुपुत्र फँसी मझधार में नैया
छिन जाएगा दानापानी मेरा गर रहे न भाभी भैया
सोच रही गौरैया….
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र)

Language: Hindi
3 Likes · 236 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all
You may also like:
सबला
सबला
Rajesh
*हमारे ठाठ मत पूछो, पराँठे घर में खाते हैं (मुक्तक)*
*हमारे ठाठ मत पूछो, पराँठे घर में खाते हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही
Rituraj shivem verma
3192.*पूर्णिका*
3192.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
क्या हुआ जो तूफ़ानों ने कश्ती को तोड़ा है
क्या हुआ जो तूफ़ानों ने कश्ती को तोड़ा है
Anil Mishra Prahari
ବାତ୍ୟା ସ୍ଥିତି
ବାତ୍ୟା ସ୍ଥିତି
Otteri Selvakumar
हम फर्श पर गुमान करते,
हम फर्श पर गुमान करते,
Neeraj Agarwal
मां सीता की अग्नि परीक्षा ( महिला दिवस)
मां सीता की अग्नि परीक्षा ( महिला दिवस)
Rj Anand Prajapati
रिश्ते
रिश्ते
Punam Pande
हम पर ही नहीं
हम पर ही नहीं
Dr fauzia Naseem shad
एक शे'र
एक शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
जी-२० शिखर सम्मेलन
जी-२० शिखर सम्मेलन
surenderpal vaidya
क्या देखा है मैंने तुझमें?....
क्या देखा है मैंने तुझमें?....
Amit Pathak
जीवन एक मकान किराए को,
जीवन एक मकान किराए को,
Bodhisatva kastooriya
माॅं लाख मनाए खैर मगर, बकरे को बचा न पाती है।
माॅं लाख मनाए खैर मगर, बकरे को बचा न पाती है।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
जब हम गरीब थे तो दिल अमीर था
जब हम गरीब थे तो दिल अमीर था "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
नर नारी
नर नारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जूते और लोग..,
जूते और लोग..,
Vishal babu (vishu)
हाइकु - 1
हाइकु - 1
Sandeep Pande
"आज की रात "
Pushpraj Anant
शब्द
शब्द
लक्ष्मी सिंह
मधुशाला में लोग मदहोश नजर क्यों आते हैं
मधुशाला में लोग मदहोश नजर क्यों आते हैं
कवि दीपक बवेजा
💐प्रेम कौतुक-454💐
💐प्रेम कौतुक-454💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जनवरी हमें सपने दिखाती है
जनवरी हमें सपने दिखाती है
Ranjeet kumar patre
चुनावी युद्ध
चुनावी युद्ध
Anil chobisa
काहे का अभिमान
काहे का अभिमान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दो शब्द यदि हम लोगों को लिख नहीं सकते
दो शब्द यदि हम लोगों को लिख नहीं सकते
DrLakshman Jha Parimal
"कुएं का मेंढक" होना भी
*Author प्रणय प्रभात*
रिशते ना खास होते हैं
रिशते ना खास होते हैं
Dhriti Mishra
न्याय तो वो होता
न्याय तो वो होता
Mahender Singh
Loading...