सोच कर मन भी मेरा
सोच कर मन भी
मेरा भर आया
स्मरण उसको
क्यों नहीं आया
भ्रम टूटा जो
मेरे स्पन्नो का
मन विश्वास कर
नहीं पाया
राह तकते हैं
नैन क्यों उसके
लौट कर जो
कभी नहीं आया ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
सोच कर मन भी
मेरा भर आया
स्मरण उसको
क्यों नहीं आया
भ्रम टूटा जो
मेरे स्पन्नो का
मन विश्वास कर
नहीं पाया
राह तकते हैं
नैन क्यों उसके
लौट कर जो
कभी नहीं आया ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद