*सॉंसों में जिसके बसे, दशरथनंदन राम (पॉंच दोहे)*
सॉंसों में जिसके बसे, दशरथनंदन राम (पॉंच दोहे)
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1)
सॉंसों में जिसके बसे, दशरथनंदन राम
तन-मन सुरभित हो गया, हृदय अयोध्या धाम
2)
मन क्यों भूला राम को, भज ले प्रातः शाम
सरल युक्ति है इस तरह, कर ले मन निष्काम
3)
लोभ-मोह में फॅंस गई, जिह्वा जब दिन-रात
राम-राम कैसे कहे, रामायण की बात
4)
सत्ता को ठुकरा दिया, जाते वन की ओर
राम-भरत के त्याग का, कहॉं ओर कब छोर
5)
बड़े भाग्य से तन मिला, मिली मनुज की श्वास
कृपा करें श्री राम जी, बनूॅं आपका दास
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451