सैनिक
भारत का
हर इक सैनिक शिलात्मज
भारत का हर बांकुरा
है चट्टान
हहराता है
उनसे तो काल भी
आ तू रणभूमि में
करते हम आव्हान
ओ तुच्छ अधम ! ओ निपट मूर्ख !
यह चुन लिया
तूने महाविनाश
हमारे सपूतों के छेड़े
तूने पावन तन
कण-कण में बिखेरेंगे
हम तेरी लाश
अब न हम न सुनेंगे
हम तुझे धुनेंगे
न भूलें न क्षमा करें
और न तुझको छोड़ेंगे
आ गया है अब समय
तेरे पापों का
फोड़ेंगे भांडा
भारत पर है उनकी निष्ठा
है भारत के प्रति
उनका सौव्रत्य
माँ भारती की सच्ची सेवा
हर सैनिक का पूर्ण सौहित्य
न हैं श्रांत कभी
न वे क्लांत कभी
देश प्रेम है सर्वोपरि
विश्व पटल
चहुंओर है सुरभित
भारत के सैनिक
का सौरभ्य।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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