सैनिक
निकल पड़े है रणभूमि मे… सीने पर गोली खाने को… दुश्मन ने छु प के वार किया है सबक उन्हे सिखलाने को…. मातृ भूमि ने हमें पुकारा अपनी लाज बचाने को… यही समय है आगे आओ अपनी जा लुटाने को…. नया सवेरा मुस्कायेगा… आज़ादी को मनाने को… अंकुर नये अब फूट चुके है… चमन नया खिलाने को… अपनो से है दूर यहाँ पर… देश की आन बचाने को… लग जायेंगी सदियाँ उनको… भारत की मिट्टी भी उठाने को.!