सैनिक
आतंकी हमला कबो, कबो नक्सली घात |
दिल्ली में बइठल रही, अउर बनाईं बात ||१||
माई अपना पूत के, देत रहे आशीष |
रक्षा करिह देश के, कटे भले ही शीश ||२||
सरहद पर रहलें खड़ा, सब दिन बनके ढाल |
लिपट तिरंगा में गइल, भारत मां के लाल ||३||
नक्सल के आतंक में, भइल पूत आहूत |
धन्य कोख ऊ धन्य बा, जनलस वीर सपूत ||४||
गोली सीना बेध के, लीहलस छनहि जान |
मृत्यु वरण के बाद भी, मुहवाँ पर मुस्कान ||५||
पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार