फीका त्योहार !
सुबह-सुबह सुदूर पहाड़ियों पर फैला श्वेत बर्फ को निहारते हुए कश्मीर के सीमावर्ती इलाके में तैनात फौजी पांडेय जी कहवा की चुस्कियां लगा ही रहे थे कि पास पड़े फोन ने उनका ध्यान आकर्षित किया। आज होली जो है, घर से दूर सही पर कोई अपनों के दिल से कैसे दूर हो? सुबह से बधाइयों का तांता लगा था, इस बार फोन पर उनकी पत्नी किरण थी, कुछ शिकवे शिकायत के बाद मनुहार शुरू ही हुई कि अचानक गोलियों की आवाज से घाटी दहल उठी, जिज्ञासा और कौतूहल के बीच उसे छोड़ पांडेय जी संतरी की तरफ दौड़ पड़े।
पता चला पड़ोसियों ने होली को दीपावली में तब्दील कर दिया है!! उधर ऊहापोह की स्थिति में पांडेय जी की वीबी किरण भुनभुनाते हुए अपने घरेलू काम में लग गयी, जैसे उसके लिए ये रोज की बात हो, हो भी क्यों न कभी फुर्सत में ढंग से बात हो तब न, हमेशा का ही तो है ये, कभी तो समय निकालते लेकिन नहीं आज त्योहार में जहां लोग अपनी वीबी बच्चों के साथ आनंदित है और वो, नौकरी नहीं सौतन! वैसे भी आज रोज से ज्यादा काम! माता जी भी तो पंडित जी को खिलाने को बुलाने गयी जैसे आज ही खिलाना जरूरी हो!!
पंडित जी को खिला कर अभी निर्वित्त हुई नहीं की बेटे अंश की जिद, उसे भी तो पिचकारी चाहिए और वो भी बंदूक वाला, फौजी का बेटा जो ठहरा, पापा आए होते तो पता नहीं क्या क्या खिलौने लाते! पंडित जी भी तो खाते हुए सही बताए, वो आए होते तो खीर फीका नहीं होता!! अभी दोपहर हुआ नहीं की दरवाजे पर होली गाने वाले भी टपक पड़े, उनकी होली बिना बख्शिश लिए पूरी भी हो तो कैसे, वो भी इस फौजी के घर से, अभी पिछली बार वो छुट्टी पर थे तो बख्शिश के साथ बोतल भी जो मिला था! अभी तो शाम तलक!!
क्या अजीब सुबह के बधाई व रंग अभी उतरे नहीं की अबीर का दौर शुरू हो चला, आज सांस लेने की भी फुरसत नहीं मिली, इसी उधेड़बुन में जैसे ही टेलीविजन खोली की हाथों के बर्तन छन्नाक से छूट कर जमीन पर गिर पड़े और एक आह निकली जैसे कलेजा मुंह को आ गया हो, उधर माता जी की भी चीख निकल गयी कारण अंदर के कमरे से बैठक में आती हुई टेलीविजन की आवाज शनैः शनैः तीव्र होने लगी!!
आज का मुख्य समाचार…. आज फिर भारत पाक सीमा पर पाकिस्तान ने किया सीज फायर का उल्लंघन! सुबह से ही पाकिस्तान के तरफ से भारतीय पोस्टों पर भारी बम बारी! भारतीय जवानों ने भी की जवाबी कार्रवाई! दो भारतीय जवान शहीद………
घटनाक्रम से लगभग ०३ महीने बीत चुके, आज माता जी के पाँव ज़मीन पर ही नहीं पड़ रहे, सुंदरकांड का पाठ जो रखवाई है, उनका त्योहार तो आज ही है! फौजी बेटा जो आज छुट्टी आ रहा है, वो भी पूरे ६० दिन की!! उस दिन टेलीविजन पर खबर सुन के जो घर में सन्नाटा फैल गया था, अगर फोन नहीं आया होता तो बूढ़े पिताजी का क्या होता चिंताग्रस्त उनकी तो बोली ही बंद हो गयी थी!! ६० दिन तो यूँ निकल गए, शुक्र रहा कि अंश का २३ अगस्त के जन्मदिन मना पाएं, नहीं तो उसकी शिकायतों का पिटारा कहाँ खाली होता!
अब अगली छुट्टी का क्या भरोसा कब मिले, त्योहारों पर तो बिल्कुल भी नहीं!! वो क्या हैं कि पिछली दीपावली में उनके पलटन रिसाला परिवार के बीच प्रधानमंत्री जी जो आये थे दीपावली मनाने और सारे रिसलियनों का मनोबल बढ़ाने, तो हो सकता है कि इस बार भी कोई न कोई आये उन फौजियों का हिम्मत बढ़ाने!! इस बार छुट्टी खत्म होने के बाद फौज़ी पांडेय जी घर का बना ठेकुआ और लड्डू ले जाना नहीं भूले! अपने उन साथियों के लिए जो उनके साथ रहते हैं और जिनके बिना उनके घरवालों का भी त्योहार, ”फीका त्योहार” रहता हैं !!
@कथनांक :-
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०९/०२/२०१८)