सैनिक बन जाऊं
देश सेवा का सोचा सैनिक बन जाऊं इसी साल में
गद्दारों को छोडू ना फसाऊ अपने जाल में !!
रख तमन्ना दिल में अपने सुबह में उठा करता था
मैदानों का चक्कर लगाकर शाम को पढा करता था
वर्दी चढ़ जाए तन पर फौजी बनू मैं किसी हाल में
देश सेवा का सोचा………..
जहां सिलेक्शन हो रहा था भीड़ बहुत ही ज्यादा था
डरना ना घबराना है यही मेरा इरादा था
देख मेरी लंबाई बोले पैदा हुआ किस साल में
देश सेवा का सोचा………..
रहा न गया तो सर से पूछा क्या है मेरी कमजोरी
लगता है तू नाटा जैसे तलवार के आगे छुरी
नाटा वाटा क्या होता है फंस गया किस जंजाल में
देश सेवा का सोचा…………!!!!
सुनिल गोस्वामी