सैनिक की कविता
जब तक ये सीमाओं में
सिहों का सिंहनाद रहेगा !
तब तक सरहद पे दुश्मन
हमेशा यूं ही बर्बाद रहेगा !
जब तक हे मॉ भारती
तेरा ऑचल आबाद रहेगा !
मेरे प्यारे वतन का वजूद
तब तक सदा आजाद रहेगा !!
दिल में हर वक्त अब
वतन का प्यार रहेगा !
देश का हर शूरवीर
हर वक्त तैयार रहेगा !!
देश की खातिर हरदम
ये जान निसार करेगा !
देश के दुश्मनों पर अब
पूरी शक्ति से प्रहार करेगा !!
हर चिंता-चुनौती अब
ये निडर स्वीकार करेगा !
आतंक के अंत तक
अब अचूक वार करेगा !!
कर देगा एक दिन
सर्वत्र न्यौछावर अपना !
रख देगा माॅ के चरणों में
गर्व भरा ऊचॉ सर अपना !!
माॅ तुम कहो अगर तो
मिला दूं अमृतसर-लाहौर !
एक कर दूं राँची-कराँची
ये इस्लामबाद और इन्दौर !!
ट्रेन चला दूं कोटा-क्वेटा
और सूरत से तिब्बत !
चारों-ओर परचम फहराने
रखते है हम हिम्मत !!
देश प्रथम है सर्वप्रथम
भारत ही प्रथम रहेगा !
प्राण-प्रण से,प्रतिज्ञा से
देशप्रेम कभी ना कम रहेगा !!
मेरे रक्त का एक-एक कतरा
बस यही एक बात कहेगा !
चाहे मैं रहूं या ना रहूं
पर मेरा भारत हमेशा रहेगा !!
।। जय माॅ भारती ।।
~०~
मौलिक एंव स्वरचित : कविता प्रतियोगिता
रचना संख्या-२५,जीवनसवारो,जून २०२३.