सैनिक और हमारे जज्बात
अब तक लिखा देश ओ समाज के बारे में,
लिखा अपने और रिश्तों के बारे में भी,
पर नहीं लिखा कभी देश के उन चिरागों के लिए,
जिनके कारण हम देश में महफूज़ रहते,
क्या लिखूं और बोलूं मै उनके बारे में,
सिर्फ सोच कर जिनके बारे में सर शान से झुकता है,
निभाते माटी की खातिर सरहद पर अपना फ़र्ज़,
पर इन्हे ना कोई ऐश ओ आराम मिलता है,
जवानी की जिस देहलीज पर आकर खुशी मनाते हम सब,
उसी देहलीज पर तिरंगे में लपेटकर अक्सर इनका जनाजा उठता है,
कौन कहता है यह अकेले ही सीना तान सरहद पर रहते है,
इनके पीछे इनकी हिम्मत बन परिवार और पूरा देश साथ रहता है,
ताकत ए हिम्मत बहुत है इनमें हर सितारा इनके आगे फीका लगता है,
पर मारता इन्हे जब अपना ही कोई इंट पत्थर,
तो देश के खातिर चुप हो यह सब सह लेता है,
लाडले होते हैं यह सबके भारत मां के रखवाले,
हुंकार भर से इनकी दुश्मन भी कांप उठता है,
शहीद होकर जब भी जाते यह खुदा के घर,
तो वहां भी इनका स्वागत हीरो की तरह ही होता है,
डटे रहते जिद ए वतन की खातिर यह सरहद पर,
जहां कोई अपना इनके साथ न होता है,
छोड़ जाते यह अपने परिवार को अपने ही हाल पर,
सच कहूं तो तभी यह देश हर बला से महफूज़ रहता है।