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13 Jul 2023 · 1 min read

सेवानिवृत्त आदमी

गहरी निंद्रा से जब ऑंखें खुली तो
अचानक सतरंगी सपना हुआ भंग
कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था
देख कर सूरज का बदला हुआ रंग

अंदर ही अंदर लग रहा था जैसे कि
उखाड़ बाहर फेंका हो बाग से माली
सजीव कहाॅं लग रहा था कहीं से मैं
पूरा तन और मन था उर्जा से खाली

अब तो मुझे ऐसा लगने लगा है कि
पूरा जीवन हो गया है एकदम सूना
अब मेरी सारी क्षमता गुम हो गई है
एकांकी जीवन ही दुःख करेगा दूना

घर के लिए कभी दो पैसे जोड़ने वाला
आज गुमसुम सा एक कोने में पड़ा है
अब वह बिना ही किसी काम काज के
अपने घर में ही मिट्टी का कच्चा घड़ा है

सुबह सुबह काम पर जाने की आदत
अब तो एकबारगी ही जैसे छूट गई
ये सब देख कर लगता तो ऐसा है कि
जिंदगी की अन्तिम आस ही टूट गई

बदला तो कुछ भी नहीं है इस घर में
सब कुछ पहले की तरह ही हो रहा है
अब मेरे लिए किसी को भी जल्दी नहीं
यही देख कर तो अब मेरा मन रो रहा है

Language: Hindi
105 Views
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