सृष्टि की रचना हैं
सृष्टि की रचना हैं
महिला और पुरुष,
पर हैं दोनों के ही
अलग-अलग दायरे
उस दायरे के अंदर ही
दोनों बेमिसाल हैं…
दायरे के बाहर तो
उनका बुरा हाल है!
दिये गए दायित्वों का
निर्वहन करें वे अच्छे से,
यही खुदा की भी चाह है।
….अजित कर्ण ✍️