सृजन
सृजन
नव सृजन कर आगे चलो।
समाज को जोड़ो सरल सात्विक बनो।
धीर बनो तुम वीर बनो,
देश के तुम परमवीर बनो।
शक्ति का तुम जागरण करो,
मनुज वृत्तियां निखरने दो।
दिव्य शक्तियां जागृत कर दो,
ध्यान मग्न में तुम तल्लीन हो।
नव श्रेष्ठ रचना आने दो ,
सृजन का गुण जगाने दो।
जीवन का अंधेरा भगाने दो,
खुशियों का सवेरा आने दो।
संगीत की तान सुनाने दो,
भक्तिमय में डूब जाने दो ।
सुंदर विचार मन में आने दो,
दिल का तार जुड़ जाने दो।
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रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822