Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Mar 2024 · 1 min read

सृजन और पीड़ा

सृजन और पीड़ा
की सहधर्मिता
जब तक है,
संभावना
मनुष्य होने की
तब तक है,
दुःख आवश्यक है।

95 Views
Books from Shweta Soni
View all

You may also like these posts

* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
जोकर
जोकर
Neelam Sharma
2790. *पूर्णिका*
2790. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हार जीत
हार जीत
Sudhir srivastava
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
घड़ी
घड़ी
SHAMA PARVEEN
I love to vanish like that shooting star.
I love to vanish like that shooting star.
Manisha Manjari
*फिर उठोगे*
*फिर उठोगे*
Dr. Vaishali Verma
मां तुम्हें आता है ,
मां तुम्हें आता है ,
Manju sagar
Dilemmas can sometimes be as perfect as perfectly you dwell
Dilemmas can sometimes be as perfect as perfectly you dwell
Chaahat
ज़िंदगी को
ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
जीवन में आप सभी कार्य को पूर्ण कर सकते हैं और समझ भी सकते है
जीवन में आप सभी कार्य को पूर्ण कर सकते हैं और समझ भी सकते है
Ravikesh Jha
मैं हैरतभरी नजरों से उनको देखती हूँ
मैं हैरतभरी नजरों से उनको देखती हूँ
ruby kumari
पिता
पिता
Mamta Rani
....बेटों को भी सिखाएं...
....बेटों को भी सिखाएं...
rubichetanshukla 781
मीर की  ग़ज़ल हूँ  मैं, गालिब की हूँ  बयार भी ,
मीर की ग़ज़ल हूँ मैं, गालिब की हूँ बयार भी ,
Neelofar Khan
Everyone enjoys being acknowledged and appreciated. Sometime
Everyone enjoys being acknowledged and appreciated. Sometime
पूर्वार्थ
हरिगीतिका छंद विधान सउदाहरण ( श्रीगातिका)
हरिगीतिका छंद विधान सउदाहरण ( श्रीगातिका)
Subhash Singhai
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ
Munish Bhatia
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
इंजी. संजय श्रीवास्तव
सिंह सा दहाड़ कर
सिंह सा दहाड़ कर
Gouri tiwari
भीमराव निज बाबा थे
भीमराव निज बाबा थे
डिजेन्द्र कुर्रे
*दुख का दरिया भी पार न होता*
*दुख का दरिया भी पार न होता*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
समंदर की बांहों में नदियां अपना वजूद खो,
समंदर की बांहों में नदियां अपना वजूद खो,
पं अंजू पांडेय अश्रु
यहा हर इंसान दो चहरे लिए होता है,
यहा हर इंसान दो चहरे लिए होता है,
Happy sunshine Soni
*रामपुर रजा लाइब्रेरी में चहारबैत का आयोजन*
*रामपुर रजा लाइब्रेरी में चहारबैत का आयोजन*
Ravi Prakash
मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमा
मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमा
Rituraj shivem verma
◆बात बनारसियों◆
◆बात बनारसियों◆
*प्रणय*
"शहनाई की गूंज"
Dr. Kishan tandon kranti
चंद शेर
चंद शेर
Shashi Mahajan
Loading...