* सृजक *
डा . अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
* सृजक *
हर सृजन को सलाम हर कृति को प्रणाम
साहित्यिक परिछंन्दों के कृतित्व को सलाम ||
कविता हो या लेख कथा हो या आलेख
मन से उपजती है जो वो लेखक की है विशेष ||
शब्द शब्द रच देते हैं जोड़ जोड़ पद चन्द
बनती सुन्दर रचना तब मात्रिक वर्णिक छन्द ||
चौपाई लेखन का है अद्भुत राग निराला
मुक्तक मुख से बोलता सम मात्रिक विषय वाला ||
लेखक की है कल्पना कभी न छोडे काम
चलते फिरते सौ सृजन बैठ मनुज निज धाम ||
सूरज की किरणों को भी कभी राह नही मिलती है
कवि के मन की कल्पना जगह जगह खिलती है ||
सुन्दर पुष्प उगा देती है कलमकार की कलम
बैठ अकेला रच देता है मन को भाता सृजन ||
अरुण कुमार ने देखी है सृजन कारिता सबकी
हाँथ जोड़ वन्दन करूं हे स्वरस्ती के नन्दन ||