सूर्य हिन्दी का
* गीतिका *
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सूर्य हिन्दी का प्रखर चमके गगन में।
भावना इस हेतु हो प्रत्येक मन में।
प्राप्त कर लें हम प्रगति के लक्ष्य नूतन।
चूक मत करना कभी भी आकलन में।
तीव्र गति से बढ़ रही भाषा हमारी।
स्वप्न सुन्दर से सजे हैं हर नयन में।
भक्ति भावों से भरे हैं गीत सुमधुर।
स्नेह सरिता बह रही मीरा भजन में।
ज्ञान हर विज्ञान की भाषा यही है।
पूर्णता है अंजुरी भर आचमन में।
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– सुरेन्द्रपाल वैद्य