सूर्य स्तुति
सूर्य स्तुति
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सूरज आया धरा से तम को भगाया,
सबके मन को भाया,
नभ में प्रकाश फैलाया।
सूरज से मिलती है ऊर्जा अपार ,
जो रोशनी का है विशाल भंडार।
सूरज खुद को दिन भर तपाकर,
सारे जहां में फैलाता है उजियार।
शाम होते ही नभ में छोड़ जाता है लाली,
सूरज अस्त होते ही रातें होती है काली।
जगत में हर मानव करता तेरा गुण गान
पूजे सकल जग तुमको,
करो तुम सबका कल्याण ।
तुमसे ही रोशन सारा, जगत और जहान,
हम सब पूजे तुमको , बच्चे हम हैं नादान ।
सुषमा सिंह*उर्मि,,