सूर्य देव के दर्शन हेतु भगवान को प्रार्थना पत्र …
शीत ऋतु में यह वर्षा ऋतु का मेल ,
हमारी समझ में न आया।
यह सजा है या वरदान कोई ,
भगवान ! कुछ तो समझाओ ।
सूर्य देव के दर्शन को तो ,
निकल जाते कितने ही दिन,
उस बादलों का छा जाना ,
बहुत बढ़ जाती है ठिठुरन।
इधर हमारे प्यारे बेचारे पेड़ पौधे ,
उधर हम जरा सी धूप को तरसते ।
और उस पर ऊपर बैठके तुम ,
हमारे मजे हो लेते।
ना ! ना ! भगवान ! इतना जुल्म ,
तुम मत करो ।
शीत ऋतु तो ठीक है ,
मगर वर्षा को तो मत भेजो ।
और अगर मुमकिन हो तो ,
सूर्य देव को थोड़ी सी देर के लिए ,
धरती पर भेज दो ।
बादलों में छुपकर वोह भी ले ,
रहे होते है हमारे मजे।
उनको उठाओ और अपनी ड्यूटी पर भेजो ,
ताकि थोड़ी सी किरणें वोह ,
धरती पर भेजे।
इतनी कृपा कर दो भगवान ,
हम माने तेरा एहसान।
जैसे भी है अच्छे या बुरे
हैं तो तेरी ही संतान।