सूर्य का गंगा नहाए के
सांस बा तऽ मुसकुराएके।
मौत से काहें डेराएके।
जिंदगी में लाख उलझन बा,
का भइल तऽ हार जाएके।
सत्य अंतिम मौत ही होला,
बात ई काहें भुलाएके।
गम भला नीयर का आई हो,
हर घड़ी बस गुनगुनाएके।
द्वेष यदि अबले हृदय में बा,
‘सूर्य’ का गंगा नहाएके।