सूरत अच्छी ,नीयत खोटी दर्पण देख रहे हैं लोग ,
सूरत अच्छी ,नीयत खोटी दर्पण देख रहे हैं लोग ,
खुली आंखों से रंग बिरंगे सपने देख रहे हैं लोग ।
घर होगा रोजगार भी होगा अपना अब व्यापार भी होगा ,
कीमत मोटी रखना क्योंकि ईमान बेच रहे हैं लोग ।
हाथ में रोटी ना है लंगोटी वायदे होते बड़े बड़े ,
एक दिन मोटा पैसा आएगा , खाते खोल रहे हैं लोग ।
कितनी भी सर्दी हो लेकिन दो घूंट मिले तो मौसम बदले ,
घर में बच्चे भूखे लेकिन बोतल खोल रहे हैं लोग ।
भाषा की खिचड़ी में अक्षर कुछ पक्के तो कुछ कच्चे हैं
आवारा कुछ और निकम्मे इंग्लिश बोल रहे हैं लोग ।
मन को क्या मैला करना जब ख्वाब हैं ऊंचे जेबें खाली
धन दौलत की तराजू में अब रिश्ते तोल रहे हैं लोग ।
टूट रहा हैं रोज यहां पर दिल जैसे मिट्टी का बर्तन ,
टूट गया तो क्या करना है यहां खुद ही टूटे फूटे लोग ।
मंजू सागर
गाजियाबाद