Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Sep 2024 · 1 min read

सूरत अच्छी ,नीयत खोटी दर्पण देख रहे हैं लोग ,

सूरत अच्छी ,नीयत खोटी दर्पण देख रहे हैं लोग ,
खुली आंखों से रंग बिरंगे सपने देख रहे हैं लोग ।
घर होगा रोजगार भी होगा अपना अब व्यापार भी होगा ,
कीमत मोटी रखना क्योंकि ईमान बेच रहे हैं लोग ।
हाथ में रोटी ना है लंगोटी वायदे होते बड़े बड़े ,
एक दिन मोटा पैसा आएगा , खाते खोल रहे हैं लोग ।
कितनी भी सर्दी हो लेकिन दो घूंट मिले तो मौसम बदले ,
घर में बच्चे भूखे लेकिन बोतल खोल रहे हैं लोग ।
भाषा की खिचड़ी में अक्षर कुछ पक्के तो कुछ कच्चे हैं
आवारा कुछ और निकम्मे इंग्लिश बोल रहे हैं लोग ।
मन को क्या मैला करना जब ख्वाब हैं ऊंचे जेबें खाली
धन दौलत की तराजू में अब रिश्ते तोल रहे हैं लोग ।
टूट रहा हैं रोज यहां पर दिल जैसे मिट्टी का बर्तन ,
टूट गया तो क्या करना है यहां खुद ही टूटे फूटे लोग ।
मंजू सागर
गाजियाबाद

1 Like · 18 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पलकों से रुसवा हुए, उल्फत के सब ख्वाब ।
पलकों से रुसवा हुए, उल्फत के सब ख्वाब ।
sushil sarna
आबूधाबी में हिंदू मंदिर
आबूधाबी में हिंदू मंदिर
Ghanshyam Poddar
#शेर-
#शेर-
*प्रणय प्रभात*
चाहतों की सेज न थी, किंतु ख्वाबों  का गगन था.....
चाहतों की सेज न थी, किंतु ख्वाबों का गगन था.....
दीपक झा रुद्रा
2122 1212 22/112
2122 1212 22/112
SZUBAIR KHAN KHAN
नशीली आंखें
नशीली आंखें
Shekhar Chandra Mitra
*मूलांक*
*मूलांक*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इस दुनिया में सिर्फ मोबाइल को ही पता होता है उसका मालिक का क
इस दुनिया में सिर्फ मोबाइल को ही पता होता है उसका मालिक का क
Ranjeet kumar patre
उसकी गलियों में आज मुस्कुराना भारी पड़ा।
उसकी गलियों में आज मुस्कुराना भारी पड़ा।
Phool gufran
किसानों की दुर्दशा पर एक तेवरी-
किसानों की दुर्दशा पर एक तेवरी-
कवि रमेशराज
मिला है जब से साथ तुम्हारा
मिला है जब से साथ तुम्हारा
Ram Krishan Rastogi
है नसीब अपना अपना-अपना
है नसीब अपना अपना-अपना
VINOD CHAUHAN
संभावना है जीवन, संभावना बड़ी है
संभावना है जीवन, संभावना बड़ी है
Suryakant Dwivedi
पर्वत दे जाते हैं
पर्वत दे जाते हैं
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
अश्रु
अश्रु
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
अनोखा देश है मेरा ,    अनोखी रीत है इसकी।
अनोखा देश है मेरा , अनोखी रीत है इसकी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
Rj Anand Prajapati
आया सखी बसंत...!
आया सखी बसंत...!
Neelam Sharma
जल का अपव्यय मत करो
जल का अपव्यय मत करो
Kumud Srivastava
हसीब सोज़... बस याद बाक़ी है
हसीब सोज़... बस याद बाक़ी है
अरशद रसूल बदायूंनी
खेतों में हरियाली बसती
खेतों में हरियाली बसती
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अनवरत ये बेचैनी
अनवरत ये बेचैनी
Shweta Soni
आपके स्वभाव की
आपके स्वभाव की
Dr fauzia Naseem shad
भीतर की प्रकृति जुड़ने लगी है ‘
भीतर की प्रकृति जुड़ने लगी है ‘
Kshma Urmila
वक्त वक्त की बात है आज आपका है,तो कल हमारा होगा।
वक्त वक्त की बात है आज आपका है,तो कल हमारा होगा।
पूर्वार्थ
आँगन पट गए (गीतिका )
आँगन पट गए (गीतिका )
Ravi Prakash
बरसने दो बादलों को ... ज़रूरत है ज़मीं वालों को ,
बरसने दो बादलों को ... ज़रूरत है ज़मीं वालों को ,
Neelofar Khan
"वक्त के साथ"
Dr. Kishan tandon kranti
पहले जो मेरा यार था वो अब नहीं रहा।
पहले जो मेरा यार था वो अब नहीं रहा।
सत्य कुमार प्रेमी
किरणों का कोई रंग नहीं होता
किरणों का कोई रंग नहीं होता
Atul "Krishn"
Loading...