सूरज प्राची से जब झांके
सूरज प्राची से जब झांके , धरती पर मुस्काता कौन ।
खग समूह में पर फैलाये , कलरव गीत सुनाता कौन ।
धीर गंभीर नील नीरमय, रहा धरा के चरण पखार ,
उमंग लहरें मौन सिन्धु में ,बोलो सखे जगाता कौन ।
पावस की रिमझिम में हँसते, हरियाली से रंगे पात ,
सूखी शाखों को जीवन दे , राहें हरी सजाता कौन ।
ताल तलैया नदियाँ नहरें , कूप सरोवर पोखर झील ,
मस्त झूमती जल निधियों में, हिलोर भला उठाता कौन ।
घर आँगन में खेले बेटी , रखती सबका ही है मान ,
सर्वोच्च शिखर तक जाने के,सपने उसे दिखाता कौन ।
डाॅ रीता सिंह
चन्दौसी , सम्भल