सूरज दादा ने ठानी है, अपना ताप बढ़ाएंगे
सूरज दादा ने ठानी है, अपना ताप बढ़ाएंगे
अब आँधी तूफानों को भी , तपकर खूब डराएंगे
लटके लटके आम डाल पर तड़प रहे हैं गर्मी से
सोच रहे हैं कब बारिश में, हम भी खूब नहाएंगे
लीची ,आडू और फालसे, मुरझाए सब पेड़ों पर
नहीं हुई बारिश तो बोलो , कैसे इनको खाएंगे
सूखे सूखे खेत बाग सब, सूखे ताल तलैया हैं
वर्षा रानी के ये नखरे, अब तो सहे न जाएंगे
गुस्सा थूको सूरज दादा, अब तो हम पर दया करो
धरतीवासी इतनी गर्मी, और नहीं सह पाएंगे
करते हैं हम खूब गलतियाँ, भूल प्रकृति को जाते हैं
क्षरण न इसका होने देंगे, इस पर रोक लगाएंगे
कसम ‘अर्चना’ हाथ जोड़कर , हम ये मिलकर खाते हैं
छोड़ काटना पेड़ों को अब ,नित दिन नए लगाएंगे
डॉ अर्चना गुप्ता
02.06.2024